रिश्ते

रिश्तों में लीपापोती
पसंद नहीं है मुझे
अंदर कुछ ,और बाहर कुछ
पसंद नहीं है मुझे

दिल में शिकायतों का भंवर
पर चेहरे पे मीठी मुसकान
ऐसे रिश्तों की बाज़ीगरी
पसंद नहीं है मुझे

वस्तुजगत की चीज़ों की
कोई परवाह नहीं
पर भावजगत की नीलामी
मंज़ूर नहीं मुझे

' स्टेट फॉरवर्ड ' जो बोलते हैं
अच्छे लगते हैं
पीठ पीछे बात करने वाले
पसंद नहीं मुझे

पैसों की चालाकी तो
एक हद तक ठीक है
पर मूल्यों की मक्कारी
पसंद नहीं मुझे

ऐसे दुश्मन,जो सिर काट लें
बहादुर लगते हैं
पर हर बात में बात काटने वाले दोस्त
पसंद नहीं मुझे

किसी के दर्द को महसूस कर के
तो रो लेते हैं मगर
किसी को रुलाकर,कविता लिखना
पसंद नहीं मुझे ।।

                           -----राघवेश

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