अधूरी चाहत
तमाम चेहरों में
नज़र आए तुम
पर अपना चेहरा लिए
कभी न आए तुम
कभी चिट्ठी
कभी फूलों की महक में
पाबंद तुम
घर की देहरी के भीतर
सुगंध बन नहीं आए तुम
तेरा गुस्सा,तेरी उदासियां
और ये जिंदगी की घुटन
बन गई ग़ज़ल
पर गीत का वो पुरसुकून
राग बन नहीं आए तुम
अब किससे बयां करूं
अपना दर्द -ए -दिल ' राघव '
जब मेरी ज़िंदगी की
पटकथा में
नहीं आए तुम
-----राघवेश
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